करता रहा सो क्यों किया, अब कर क्यों पछताय। बोए पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय॥
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जो पहले तुमने किया (गलत काम या बुरा कर्म), अब उसके लिए पछताने का कोई अर्थ नहीं। अगर तुमने बबूल का पेड़ बोया है (कठोर, कटु या बुरे कर्म किए हैं), तो फिर आम (मीठा फल) कैसे खा सकते हो? यदि आपने अपने जीवन में दोष, हिंसा, घमंड, द्वेष या अन्य नकारात्मक कर्म किए हैं, तो उनसे मीठे परिणाम की आशा करना व्यर्थ है। अब पछताने से कुछ नहीं होगा, सुधार का मार्ग ही एक उपाय है। जीवन में अच्छे परिणाम चाहते हो तो अच्छे कर्म करो। समय रहते सचेत हो जाना ही बुद्धिमानी है।
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Created by:
Vanshika Mishra
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