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अब तो जान लिया, राम नाम है सार। तन छीजे मन उजियारा, यह कबीर विचार॥
अब मैंने यह जान लिया है कि संसार में प्रभु राम का नाम ही सबका सार है। शरीर तो धीरे-धीरे नष्ट होता ही है, पर यदि राम नाम जपा जाए तो मन आत्मज्ञान से प्रकाशित हो जाता है। यह मेरे (कबीर के) जीवन का ...
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Vanshika Mishra
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लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल। लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल॥
मेरे प्रभु का ऐसा दिव्य प्रेमरंग है कि जिधर देखता हूँ उधर वही रंग (ईश्वर का प्रेम) छाया है। मैंने उस "लाली" (ईश्वरीय प्रेम) को देखने की इच्छा से ध्यान लगाया, और स्वयं ही उसी ईश्वरीय रंग में रंग डूब ...
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Vanshika Mishra
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माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे ॥
मनुष्य को कभी किसी भी प्रकार का अभिमान नही करना चाहिये, क्योकि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं हैं, एक न एक दिन वो भी टूट ही जाता हैं | समय सबसे बलवान होता हैं और समयानुसार ही काल का पहिया ...
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Vanshika Mishra
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करता रहा सो क्यों किया, अब कर क्यों पछताय। बोए पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय॥
जो पहले तुमने किया (गलत काम या बुरा कर्म), अब उसके लिए पछताने का कोई अर्थ नहीं। अगर तुमने बबूल का पेड़ बोया है (कठोर, कटु या बुरे कर्म किए हैं), तो फिर आम (मीठा फल) कैसे खा सकते हो? यदि आपने अपने ...
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Vanshika Mishra
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